गैर-वित्तपोषित लोगों को आसान वित्त मुहैया कराने के लिए आठ साल पहले शुरू की गई मुद्रा योजना के तहत अब तक बैंक और वित्तीय संस्थान लगभग 40.82 करोड़ लाभार्थियों को 23.2 लाख करोड़ रुपये के कर्ज बांट चुके हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ अप्रैल, 2015 को गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि क्षेत्र के छोटे एवं सूक्ष्म-उद्यमियों को 10 लाख रुपये तक के आसान जमानत-मुक्त माइक्रो-क्रेडिट की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) की शुरुआत की थी।
वित्त मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा कि पीएमएमवाई के अंतर्गत ऋणदाता संस्थाएं (एमएलआई)- बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), सूक्ष्म-वित्तीय संस्थान (एमएफआई) और अन्य वित्तीय मध्यस्थों की तरफ से कर्ज दिए जाते हैं।
मुद्रा योजना की आठवीं वर्षगांठ पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘योजना आने के बाद से 24 मार्च, 2023 तक 40.82 ऋण खातों के लिए लगभग 23.2 लाख करोड़ रुपये स्वीकृत किए जा चुके हैं।’
उन्होंने कहा कि इनमें से लगभग 68 प्रतिशत खाते महिला उद्यमियों के और 51 प्रतिशत खाते अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के हैं। यह दिखाता है कि देश के नवोदित उद्यमियों को ऋण की आसान उपलब्धता ने नवाचार और प्रति व्यक्ति आय में निरंतर वृद्धि को बढ़ावा दिया है।
एमएसएमई के माध्यम से स्वदेशी को वृद्धि पर प्रकाश डालते हुए वित्त मंत्री ने कहा, ‘एमएसएमई की वृद्धि ने ‘मेक इन इंडिया’ में बड़ा योगदान किया है। मजबूत घरेलू एमएसएमई घरेलू बाजारों और निर्यात, दोनों के लिए स्वदेशी उत्पादन में वृद्धि करते हैं।’