अमेरिकी फॉरेंसिक फ़ाइनेंशियल कंपनी हिंडनबर्ग ने अदानी समूह को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं. अदानी ग्रुप ने रिपोर्ट को निराधार बताते हुए कुछ सवालों के जवाब भी दिए हैं, लेकिन इसके बावजूद निवेशकों में घबराहट का माहौल है.
‘अदानी ग्रुपः हाउ द वर्ल्ड्स थर्ड रिचेस्ट मैन इज़ पुलिंग द लार्जेस्ट कॉन इन कॉर्पोरेट हिस्ट्री’ नाम की यह रिपोर्ट 24 जनवरी को प्रकाशित हुई थी.
ये तारीख़ इसलिए अहम है कि इसके दो दिन बाद ही 27 जनवरी को गौतम अदानी की कंपनी शेयर बाज़ार में सेकेंड्री शेयर जारी करने वाली थी. ये कोई छोटा-मोटा इश्यू नहीं है, बल्कि अब तक का सबसे बड़ा 20 हज़ार करोड़ रुपये का एफ़पीओ है.
बात हो रही है अमेरिका की फाइनेंशियल फ़ॉरेंसिक रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की जो भारतीय मीडिया में लगातार सुर्खियां बटोर रही है.
वजह है उसकी रिपोर्ट में शामिल वो 88 सवाल, जो उसने अरबपति कारोबारी गौतम अदानी के नेतृत्व वाले अदानी ग्रुप से पूछे हैं. इसमें कई सवाल बेहद गंभीर हैं और सीधे-सीधे अदानी ग्रुप की कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर निशाना साधते हैं.
रिपोर्ट के सार्वजनिक होते ही अदानी ग्रुप के निवेशकों में खलबली मच गई. ग्रुप के शेयरों पर बिकवाल हावी हो गए और देखते ही देखते अदानी ग्रुप के निवेशकों और प्रमोटर्स के लाखों करोड़ रुपये की बाज़ार पूंजी स्वाहा हो गई.
फ़ोर्ब्स बिलिनियर्स इंडेक्स के मुताबिक गौतम अदानी की नेटवर्थ में 18 फ़ीसदी की गिरावट आई और दुनिया के अरबपतियों की फ़ोर्ब्स मैग्ज़ीन की रियल टाइम लिस्ट के मुताबिक़ वह अमीरों की सूची में चौथे स्थान से खिसककर सातवें पायदान पर पहुँच गए.