दुनियाभर के लगभग 40 देशों में भारत से आम का निर्यात किया जाता है। यहां के आम की बढ़ियात क्वालिटी का अंदाजा इस बात से आराम से लगाया जा सकता है।
हमारे देश में सालाना लगभग 15 मिलियन टन आम का उत्पादन होता है। घरेलू स्तर पर आमों की बड़ी मात्रा में मांग है और भारत आमों के लिए बड़ा अंतरराष्ट्रीय बाजार भी है। आम की किस्मों की बात करें, तो लंगड़ा आम सबसे प्रसिद्ध किस्म है, जो अपने स्वाद के लिए दुनियाभर में फेमस है। लेकिन बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि इसका नाम लंगड़ा कैसे पड़ा। चलिये इस बारे में जानते हैं।
कैसे पड़ा लंगड़ा नाम?
लंगड़ा आम की खेती सबसे पहले उत्तर प्रदेश के बनारस में शुरू हुई थी। बनारस शिव मंदिर में दर्शन के लिए एक साधु ने पौधा लगाया था और बताया जाता है कि भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में एक पुजारी रहता था। पुजारी का एक पैर खराब था। तो इस वजह से उसे लंगड़ा पुजारी के तौर पर जाना जाता था। एक बार की बात है कि साधु मंदिर में ठहरने के लिए आया और वहां उसने आम के दो पौधे रौपे। साधु ने पुजारी को कहा कि पौधे को एक बार पेड़ बन जाने के बाद इसे भगवान शिव को अर्पित किया जाएगा।
राजा ने पुजारी से लिए आम और फिर…
जब पेड़ पर फल लगने लगे, तो पुजारी ने साधु के कहे अनुसार पहले तो इसे भगवान शिव को समर्पित किया। बाद में बनारस के राजा ने भी पुजारी से आम लिए। हालांकि, पहले साधु ने उस पेड़ के फलों को किसी के भी साथ शेयर करने से साफ मना किया था। परिणामस्वरूप लंगड़ा आम पूरे बनारस में प्रसिद्ध हो गया। मंदिर का आम राजा को मिलने के बाद इसकी लोकप्रियता बढ़ गई।
पुजारी के कारण पड़ा ये नाम
पुजारी की विकलांगता के कारण लोग इसे लंगड़ा कहकर बुलाने लगे। तब से आम की इस किस्म को लंगड़ा आम ही कहा जाता है। भारत में लंगड़ा आम मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है।