एम पी पी आर्यकन्या इंटर कॉलेज में जिला विद्यालय निरीक्षक का अभिनंदन व विदाई समारोह

करियर

अपनी समस्याओं को अपनी सेवा से न जोड़े शिक्षक_जिला विद्यालय निरीक्षक


गोरखपुर!

शिक्षा समाज की संजीवनी शक्ति है जिसे संचालित करने का उत्तरदायित्व शिक्षको पर शिक्षक को कभी अपनी निजी समस्याओं को सेवा से नहीं जोड़नी चाहिए क्योंकि शिक्षक सार्वभौम राष्ट्र के निर्माण में उत्तरदायित्व से उक्त है ।
उक्त बाते जिला विद्यालय निरीक्षक गोरखपुर ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह भदौरिया ने फरवरी माह के अंत में सेवानिवृत्त होने से पूर्व एम पी पी आर्य कन्या इंटर कॉलेज बक्शीपुर में आयोजित अभिनंदन व अभिनंदन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिक्षको को संबोधित करते हुए कही ।
श्री भौरिया ने कहा कि वर्ष ११९९ से वर्तमान शिक्षण सत्र तक विभिन्न जनपदों में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व जिला विद्यालय निरीक्षक में सेवा करने का अवसर मिला राजकीय सेवा की शुरुआत राजकीय इंटर कॉलेज में प्रवक्ता के रूप में शुरू किया था शिक्षण कार्य के अनुभव के आधार पर मेरी मान्यता है कि बिना विषय वस्तु के ज्ञान के कोई व्यक्ति सफल शिक्षक नही बन सकता शिक्षक के परिश्रम का प्रतिफल बीस वर्ष बाद मिलता है विद्यार्थी बुनियादी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा पूर्ण कर देश का सभ्य व योग्य नागरिक बन राष्ट्र के निर्माण में अपना योग्यदान देता है यदि शिक्षक के द्वारा बच्चो को सही शिक्षा नही दी जाती है तो वही बच्चा बीस वर्ष बाद अपराधिक गतिविधियों में सम्मिलित हो जाता है शिक्षक की जिम्मेदारी शिक्षित समाज बनाने की बिना शिक्षित समाज के स्वस्थ्य व आत्म निर्भर राष्ट्र का निर्माण सम्भव नहीं है मै शिक्षक के बाद जब प्रशासनिक सेवा में आया तब संवैधानिक पद पर आसीन होने के वजह से शासनादेश को को निजी स्वार्थों व संबंधो से ऊपर स्थान दिया व एक्ट फैक्ट टैक्ट के नीति के आधार पर विधि संगत तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए निर्णय लेना पड़ता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण व छात्राओं द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से किया गई विद्यालय के प्रबंधक जगदीश पाण्डेय व प्रधानाचार्या श्रीमती रीता श्रीवास्तव द्वारा जिला विद्यालय निरीक्षक को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र भेट कर भावभीनी विदाई दी गई।
इस अवसर पर प्रबन्ध समिति के राधेश्याम श्रीवास्तव गंगेश्वर पांडेय दिलीप सिंह हरेकृष्ण पांडेय अशोक उपाध्याय अशोक पांडेय मौजूद रहे।
कार्यक्रम का संचालन साहित्य विद नंदा पांडेय ने किया।