बिजलीकर्मियों का प्रदेशव्यापी कार्य बहिष्कार बुधवार से शुरू हो गया, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के साथ बीते दिसंबर में हुए समझौते को लागू कराने के लिए।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों, अभियंताओं और निविदा/संविदा कर्मियों ने सुबह 10 बजे से कार्य बहिष्कार प्रारंभ कर दिया। संघर्ष समिति का दावा है कि कार्य बहिष्कार आंदोलन में लगभग एक लाख बिजलीकर्मी शामिल हैं।
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ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बुधवार को फिर बिजलीकर्मियों और संगठनों से विरोध, हड़ताल व कार्य बहिष्कार न करने की अपील की है लेकिन संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि बिजलीकर्मी गुरुवार रात 10 बजे से 72 घंटे की सांकेतिक हड़ताल करेंगे। उधर बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लाईज एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) ने प्रदेश के बिजलीकर्मियों के आंदोलन के समर्थन में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया है।
एनसीसीओईईई के आह्वान पर 16 मार्च को देश के सभी राज्यों के सभी जिलों और परियोजनाओं में लगभग 27 लाख बिजलीकर्मी सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करेगें। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी के राष्ट्रीय संयोजक प्रशांत चौधरी, आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल पी. रत्नाकर राव, सीटू के सुभाष लांबा और कई अन्य राष्ट्रीय नेता 16 मार्च को सुबह लखनऊ पहुंच रहे हैं। लखनऊ में नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी के नेता प्रेस कान्फ्रेंस के साथ बिजली कर्मचारियों की सभा को संबोधित करेंगे।
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संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि गुरुवार रात 10 बजे से होने वाली 72 घंटे की सांकेतिक हड़ताल ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन की हठवादिता के चलते बिजलीकर्मियों पर थोपी जा रही है। बीती तीन दिसंबर 2022 को हुए समझौते में ऊर्जा मंत्री की ओर से 15 दिन का समय मांगा गया था लेकिन 112 दिन बीतने के बाद भी समझौते के प्रमुख बिंदुओं पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। आंदोलनरत बिजलीकर्मियों से कार्य बहिष्कार व हड़ताल न करने की अपील करते हुए ऊर्जा मंत्री ने कुछ विद्युत संगठन राजनीति से प्रेरित होकर सरकार के खिलाफ भ्रामक व गलत प्रचार कर रहे हैं कि पिछले समझौते की कोई भी बात नहीं मानी गई।
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हकीकत यह है कि दिसंबर 2022 में विद्युत संगठनों के साथ हुए समझौते के तहत काफी कार्य किया जा चुका है। मसलन कार्मिकों की एसीपी के लिए अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति का गठन शासन स्तर पर किया जा चुका है। कैशलेस उपचार के लिए शासन की नीति के समान व्यवस्था करने के लिए अनुमोदन दे दिया गया है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ आगे की प्रक्रिया तय की जा रही है। विद्युत निगम के घाटे में होने के बावजूद समस्त कर्मियों को एक वर्ष का बोनस दे दिया गया
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ईआरपी पर आवश्यकता के अनुसार एक्सेस देने का निर्णय लिया गया है, लाइसेंस लेने की प्रक्रिया चल रही है। जिन कार्मिकों के विरुद्ध पिछली हड़ताल के दौरान जो कार्यवाही प्रचलित थी, उसे रद कर दिया गया है। मंत्री ने कहा कि पुराने मुद्दों को उठाकर सरकारी कार्य में बाधा डालना तथा बढ़ती हुई गर्मी में बिजली आपूर्ति को बाधित कर लोगों को परेशानी में डालना किसी भी प्रकार से मान्य नहीं होगा। मार्च का महीना राजस्व वसूली के लिए महत्वपूर्ण है। कार्य बहिष्कार से राजस्व वसूली प्रभावित होगी। इससे कर्मचारियों के वेतन, बोनस और विकास कार्य प्रभावित होंगे।
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दो घंटा ज्यादा काम करेंगे उप्र पावर आफिसर एसोसिएशन से जुड़े कार्मिक
उधर बिजलीकर्मियों के आंदोलन से खुद को अलग रखने वाले उप्र पावर आफिसर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बुधवार को ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के साथ बैठक कर उन्हें आश्वासन दिया कि जरूरत पडऩे पर एसोसिएशन के हजारों अभियंता व कार्मिक दो घंटा अधिक कार्य करेंगे लेकिन विद्युत व्यवस्था में कोई व्यवधान नहीं होने देंगे। उन्होंने मंत्री से कहा कि हड़ताल के मद्देनजर एसोसिएशन के अभियंता व कार्मिक गुरुवार सुबह नौ बजे से ही काम का मोर्चा सभालेंगे जिससे उपभोक्ताओं को कोई दिक्कत न हो।